Nojoto: Largest Storytelling Platform

आँखें तो बेवजह रुसवा हैं, के इनमें नींदें नहीं आत

आँखें तो बेवजह रुसवा हैं, 
के इनमें नींदें नहीं आती,
पर गुस्ताखी तो इस दिल की है,
किसी की यादें नहीं जाती।

अब तो ये आँखें भी, 
इस दिल से बेजार हो गई हैं।
कहती हैं तुम उसे याद करते हो,
जिसके लबों पे तुम्हारी,
मुख्तसर सी कभी बातें नहीं आती।

©Aarzoo smriti
  #aankhen to bewajah ruswa h.....

#aankhen to bewajah ruswa h.....

351 Views