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कौन  पीता  गया कौन  पिलाता गया रंज-ओ- ग़म में कौन आ

कौन  पीता  गया कौन  पिलाता गया
रंज-ओ- ग़म में कौन आज़माता गया, 

लगे फ़ितरत बदल सी गई मौसम की
कौन  ज़ख्मो पर मलहम लगाता गया, 

तुम भी अपनी परेशानी मुझे दे जाओ
परत दर परत   मुझे राज़ बताता गया, 

कुछ अपनों की भी तहकीकात हो गई
ये वक़्त मुझे अपनों से मिलवाता गया, 

लगे है मज़ार पे मेले मेरे  जाने के बाद
इश्क़ क्या है मुझे रूबरू करवाता गया, 

कौन रिहाई चाहे इश्क़  में हरने के बाद
कुछ मौहलत तो देता मैं चोट खाता गया,

©khyalon ka Safar
  कौन  पीता  गया कौन  पिलाता गया
रंज-ओ- ग़म में कौन आज़माता गया, 

लगे फ़ितरत बदल सी गई मौसम की
कौन  ज़ख्मो पर मलहम लगाता गया, 

तुम भी अपनी परेशानी मुझे दे जाओ
परत दर परत   मुझे राज़ बताता गया,

कौन  पीता  गया कौन  पिलाता गया रंज-ओ- ग़म में कौन आज़माता गया, लगे फ़ितरत बदल सी गई मौसम की कौन  ज़ख्मो पर मलहम लगाता गया, तुम भी अपनी परेशानी मुझे दे जाओ परत दर परत   मुझे राज़ बताता गया, #Shayari

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