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बिखरते शब्दों को इक सूत्र में पिरोती रही, इक "आरजू

बिखरते शब्दों को इक सूत्र में पिरोती रही,
इक "आरजू" ऐसी जो हर भाषा के बीज से अंकुरित होती रही ! 

जाने कौनसे दरिया से लफ्जो का गिर्दाब ढूँढ कर लाती है,
इक "आरजू" ऐसी जो कोरे कागज पर अपने साजन से गूफ्तगूं करती रही !

अब हम क्या लिखें, क्या पढ़ें इनके खुत्बे में,
इक "आरजू" ऐसी जो मल्लिका-अ-अल्फाज होकर इन्हीं की आराईश करती रही !

बहुत अलीम आये कातिब बनके जिसकी जुस्तुजू में,
इक "आरजू" ऐसी जो मुकम्मल होकर भी अधूरी सी भटकती रही !

 गिर्दाब- भँवर, बवडंर
आराईश- सजावट
खुत्बा- परिचय
अलीम-विद्वान
कातिब- लेखक
Dedicating a #testimonial to aarzoo adhuri
#yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #friendship #respect #yq #तर्पण
बिखरते शब्दों को इक सूत्र में पिरोती रही,
इक "आरजू" ऐसी जो हर भाषा के बीज से अंकुरित होती रही ! 

जाने कौनसे दरिया से लफ्जो का गिर्दाब ढूँढ कर लाती है,
इक "आरजू" ऐसी जो कोरे कागज पर अपने साजन से गूफ्तगूं करती रही !

अब हम क्या लिखें, क्या पढ़ें इनके खुत्बे में,
इक "आरजू" ऐसी जो मल्लिका-अ-अल्फाज होकर इन्हीं की आराईश करती रही !

बहुत अलीम आये कातिब बनके जिसकी जुस्तुजू में,
इक "आरजू" ऐसी जो मुकम्मल होकर भी अधूरी सी भटकती रही !

 गिर्दाब- भँवर, बवडंर
आराईश- सजावट
खुत्बा- परिचय
अलीम-विद्वान
कातिब- लेखक
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