मिट्टी के घरों की यारी थी , बारिश के पानी से । बरसात में अक्सर दोनों साथ मिल जाते थे । मिट्टी बह जाने देती थी पानी को , खुद के अंदर से । और घर की छत से रिसने लगता था पानी । लोग अक्सर छत टपकने से, सटकर बैठ जाते थे आसपास, रिश्ते अक्सर गीले नाजुक और नम होते थे । सीमेंट और पानी की अनबन है, नही बहने देती छते आजकल पानी को घर के अंदर। सूखे रहते है लोग आजकल। सीमेंट की छते सूखा रखती है सबकुछ। सारे रिश्ते भी सूखे रहते है आजकल न भीगते है और न , नम होते है। बारिश और मिट्टी की यारी थी कभी । अब मैं भीगता नही #बारिश #पानी #यारी #मिट्टी #रीश्ते #भीगा #सीमेंट