मैने अपने छत से जब तुमको देखा था, काला सूट तुमपे जचता था, खुले जुल्फ में जब तुम छत पर आती थी², मैं चुपके से तुमको देखता था, एक दिन जब नजरें मिली,तुम शरमाई मैं शरमाया था, खुले जुल्फ में तुम्हें देखना मुझे अच्छा लगता था, तुमको भी मैं क्या उतना ही प्यारा लगता था, बात नहीं हुई कभी,पर दिल में कुछ हम दोनो के था, तुम चली गई शहर छोड़ के,मैं यही तुम्हारे इंतजार में था।। ©Akram Ali my shayri #Goodevening