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गले लग के दीवारों के, सुनानी है आज मेरे दर्द की दा

गले लग के दीवारों के,
सुनानी है आज मेरे दर्द की दास्तान।

बहाने है जी भर के आंसू आज,
शायद थोड़ा सा भी दर्द कम हो जाए मेरा।

ख़ामोशी का दामन थामे, बिना कसूर बताए मेरा,
चली गई वह हमेंशा और तन्हा छोड़ गए हमें।

इस नादान दिल को कितनी चोट पहुंची उसे क्या खबर,
वह तो चली वही खुशी ढूँढने जो हम भी कभी उसे दिया करते थे।

-Nitesh Prajapati  #शब्द_दीवार 

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गले लग के दीवारों के,
सुनानी है आज मेरे दर्द की दास्तान।

बहाने है जी भर के आंसू आज,
शायद थोड़ा सा भी दर्द कम हो जाए मेरा।

ख़ामोशी का दामन थामे, बिना कसूर बताए मेरा,
चली गई वह हमेंशा और तन्हा छोड़ गए हमें।

इस नादान दिल को कितनी चोट पहुंची उसे क्या खबर,
वह तो चली वही खुशी ढूँढने जो हम भी कभी उसे दिया करते थे।

-Nitesh Prajapati  #शब्द_दीवार 

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