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लोकतंत्र का अंतिम क्षण है कह कर आप हँसे सबके सब ह


लोकतंत्र का अंतिम क्षण है
कह कर आप हँसे
सबके सब हैं भ्रष्टाचारी
कह कर आप हँसे
चारों ओर बड़ी लाचारी
कह कर आप हँसे
कितने आप सुरक्षित होंगे
मैं सोचने लगा
सहसा मुझे अकेला पा कर
फिर से आप हँसे ( रघुवीर सहाय)

©HintsOfHeart.
  #आपकी_हॅसी