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ज़िन्दगी के ग़म बांँटने चले थे हम यहांँ अनजानों से

ज़िन्दगी के ग़म बांँटने चले थे हम यहांँ अनजानों से।
गैरों ने हाथ थाम चलना सिखाया अनजान रास्ते से।

अपना मान मिल रही थी खुशी दिल को बेगानों से।
कुछ वक्त का ही सही सच्ची खुशी झलक रही थी लबों से।

दिल मेरा बना रहा था एक अलग छोटा अपना ख़ूबसूरत आशियाँ।
कर रहे थे हम सब मिल लेखन में प्रतिदिन तरक़्क़ियाँ।

कोरा काग़ज़ पर लिखा हमने अपने मोहब्बत का दास्तां।
सब एक दूजे को छोड़ चल दिए तुम कहांँ हम कहांँ।

मोहब्बत से दीवानगी लेखन का चल पड़ा था अपना कारवांँ। 
पहुँचा दिया गैरों ने तोड़ दिल, लेखन से कर दिया हाशिया।

फ़िर भी आशा की किरण दिल में अब भी बाकी है।
वाह रे! दगाबाज़ क़िस्मत तेरी हरकत अजब  निराली है।

कहांँ ढूँढे हम एक नया अपना लेखन का जहां।
मुद्दतों बाद मिला था कुछ कर जाने का हौसला यहांँ।

 #कोराकाग़ज़ 
#restzone 
#aestheticthoughts 
#yqbaba 
#yqdidi 
#similethoughts 
#yqकीदोस्ती
#yourquote
ज़िन्दगी के ग़म बांँटने चले थे हम यहांँ अनजानों से।
गैरों ने हाथ थाम चलना सिखाया अनजान रास्ते से।

अपना मान मिल रही थी खुशी दिल को बेगानों से।
कुछ वक्त का ही सही सच्ची खुशी झलक रही थी लबों से।

दिल मेरा बना रहा था एक अलग छोटा अपना ख़ूबसूरत आशियाँ।
कर रहे थे हम सब मिल लेखन में प्रतिदिन तरक़्क़ियाँ।

कोरा काग़ज़ पर लिखा हमने अपने मोहब्बत का दास्तां।
सब एक दूजे को छोड़ चल दिए तुम कहांँ हम कहांँ।

मोहब्बत से दीवानगी लेखन का चल पड़ा था अपना कारवांँ। 
पहुँचा दिया गैरों ने तोड़ दिल, लेखन से कर दिया हाशिया।

फ़िर भी आशा की किरण दिल में अब भी बाकी है।
वाह रे! दगाबाज़ क़िस्मत तेरी हरकत अजब  निराली है।

कहांँ ढूँढे हम एक नया अपना लेखन का जहां।
मुद्दतों बाद मिला था कुछ कर जाने का हौसला यहांँ।

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