इंतज़ार तेरा मैं सदियों से कर रहा जाने कब से इज़हार मेरे होंटों पर निगाहें मेरी मिलन को तरस रही पल-पल ये याद में तेरी बरस रही सनम मेरा ना जाने कहाँ खोया है फ़र्श को आँसुओ से हमने धोया है ना रास्ता मालूम है, ना कोई पता तेरे दर पर आने को हम तड़प रहे ♥️ Challenge-505 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।