कुछ वक्त दे ऐ ज़िदंगी,थोड़ा सभंल जाने दे तेरा हर वार हम फिर सहेंगे,पुराना जख़्म तो भर जाने दे मुफ़्त में सीखा नहीं है,हमनें जीवन का फलसफ़ा तेरा हर कर्ज़ हम उतार देंगे,थोड़ा मौसम तो बदल जाने दे खुशियों की महफिल फिर सजेगी,लगेंगे उम्मीदों को पंख भी बहारें फिर मेहरबान होंगी,थोड़ा तूफान और थम जाने दे नासमझ नहीं है वो,जो शख्श आज रूक गया आँधियों को वो मात दे रहा,जो शजर आज झुक गया हैरानी की ये बात नहीं है,ना ज़माना ही खराब है कुदरत सवाल पूछ रही है और इंसान बे-जवाब है गुज़र जाएगा ये दौर भी,कुछ वक्त और गुज़र जाने दे ज़िदंगी आज़मा हमें रही है,कुछ सबक और मिल जाने दे... © abhishek trehan #flood #दर्द #कविता #ज़िदंगी #मुश्किलें #शब्द #शायरी #कहानी #therealdestination.com