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देखो सफर में कितनी दूर आ गये, कितनी यादें, कितने द

देखो सफर में कितनी दूर आ गये,
कितनी यादें, कितने दस्तूर आ गये।
जिस मोड़ को देख भागा करते थे कभी,
उसपे चलने को लाचार हो गये ।
खालिपन तो था ह्रदय में,
पर भरते भरते उसमें दरार आ गये ।
भरना था जो परम सत्य से ,
संसारिक जाल उसमें बुनते आ गये।
लाचारी में शुरु कर सफर ,
उस अनन्त के अन्त को नापने आ गये।
मुर्खों से भरी इस दुनिया में,
लो ,हम एक और आ गये।
जिस पथ पर हम चले थे,
है मार्ग कठिन, पर सच्चा है।
मज़बूरी से शुरु किया सफर,
मज़बूती से तय करते आ गये।
देखो सफर में कितने दूर आ गये ,
कितनी सुकुन, कितने दस्तूर आ गये,
कि यदि पिछे मुड़ जब भागना चाहें
हाथ थामने स्वयं पर्मात्मा आ गये ।।

©Aakriti Rai 
   सफर मे कितनी दूर आ गये#GarajteBaadal  सुधा भारद्वाज"निराकृति" Sudha Tripathi Rakesh Srivastava Krishnadasi Sanatani