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मैं तो खड़ी थी आस लगाए, मेंहदी कजरा माँग सजाए; दे

मैं तो खड़ी थी आस लगाए, 
मेंहदी कजरा माँग सजाए;
देख सूरतिया अपने पिया की, 
हार गई मैं तन मन को

अपने पिया को मैं किस विध पाऊँ
लाज की मारी मैं तो डूबी डूबी जाऊँ;
तुम ही जतन करो ऐ री सखी री, 
मै मन भाऊँ साजन को

ऐ री सखी मोरे पिया घर आए.
                        भाग लगे इस आँगन को।       ( अमीर ख़ुसरो )

©HintsOfHeart.
  #मोरे_पिया_घर_आए