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वर्गमूल की तरह हमारी घात आधी हो अपनों के लिये, घर

वर्गमूल की तरह हमारी घात आधी हो अपनों के लिये, 
घर से भी नो दो ग्यारह होना पड़ता है सपनों के लिये l
 मिशाल बन जाओ औरों के लिये, ऐसे पैर धरते चलो,
 साहेब पदचिन्ह छोड़,बनकर बेशर्म, कर्म करते चलो ll #gautamsaheb
वर्गमूल की तरह हमारी घात आधी हो अपनों के लिये, 
घर से भी नो दो ग्यारह होना पड़ता है सपनों के लिये l
 मिशाल बन जाओ औरों के लिये, ऐसे पैर धरते चलो,
 साहेब पदचिन्ह छोड़,बनकर बेशर्म, कर्म करते चलो ll #gautamsaheb