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मेरे महबूब की ख्वाहिश थी हर सुबह हम निखारे उनका रू

मेरे महबूब की ख्वाहिश थी हर सुबह हम निखारे उनका रूप
क्या करें, सूरज जो ठहरे
रोज उनके रुखसारो को किरन बनकर चूमती है मेरी धूप।।  धूप निकलती है तो 
धरती का रंग खिल उठता है 
आसमाँ की रंगत बदल जाती है। 

कैसे #collab करें #yqdidi के साथ।
#धूपनिकलीहै
...
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मेरे महबूब की ख्वाहिश थी हर सुबह हम निखारे उनका रूप
क्या करें, सूरज जो ठहरे
रोज उनके रुखसारो को किरन बनकर चूमती है मेरी धूप।।  धूप निकलती है तो 
धरती का रंग खिल उठता है 
आसमाँ की रंगत बदल जाती है। 

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