रात को रजनी कहूं तो | चांद को चांदनी || तम को अंधेरा कहूं मैं | दिन को सादगी || सपनों को सच मानलूं मैं | देह को अग्नि || तपता रहे तपिश की तपन से | तो उभर कर निकले || {~असली जिंदगी~} Gudvin.barche@g