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ऐ सुबह इतना इतराकर कर गुस्ताखी ना कर बैठ जाना। कि

ऐ सुबह इतना इतराकर कर गुस्ताखी ना कर बैठ जाना।
कि तेरे फरेब मे चांद ढल कर तेरे इंतजार की घड़ियां गिन बैठे।
          
                                                                           - इट्स m00nl!ght#&unl!ght
ऐ सुबह इतना इतराकर कर गुस्ताखी ना कर बैठ जाना।
कि तेरे फरेब मे चांद ढल कर तेरे इंतजार की घड़ियां गिन बैठे।
          
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Iti Bisht

Growing Creator