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बूड्ढी बैट्ठी घर के बाहरणे छोरी पतासे बाट्टण आई।

बूड्ढी बैट्ठी घर के बाहरणे 
छोरी पतासे बाट्टण आई।
करले दादी मुह नैं मिट्ठा 
मेरी मां की कोथली आई।
{Bolo Ji Radhey Radhey}
बूड्ढी बोल्ली के खाउं बेट्टा, 
घर की बणी या चीज कोन्या।
सारे त्योहार बाजारु होगे, 
ईब पहले आली तीज कोन्या।

कोथली तो वा होवै थी जो 
म्हारे टैम पै आया करती।
सारी चीज बणा कै घरनै 
मेरी मां भिजवाया करती।

पांच सात सेर कोथली मैं, 
गुड़ की बणी सुहाली हो थी।
गैल्या खांड के खुरमें हो थे, 
मट्ठी भी घर आली हो थी।

सेर दो सेर जोवे हों थे, 
जो बैठ दोफारे तोड्या करती।
पांच सात होती तीळ कोथली मैं, 
जो बेटी खातर जोड़्या करती।

एक बढिया तील सासू की, 
सूट ननद का आया करता।
मां बांध्या करती कोथली, 
मेरा भाई लेकै आया करता।

हम ननद भाभी झूल्या करती, 
झूल घाल कै साम्मण की।
घोट्या आली उड़ै चुंदड़ी, 
लहर उठै थी दाम्मण की।

डोलै डोलै आवै था, 
भाई देख कै भाज्जी जाया करती।
बोझ होवै था कोथली मैं, 
छोटी ननदी लिवाया करती।

बैठ साळ मैं सासू मेरी, 
कोथली नैं खोल्या करती।
बोझ कितना सै कोथली मैं, 
आंख्या ए आंख्या मैं तोल्या करती।

फेर पीहर की बणी वे सुहाली, 
सारी गाल मैं बाट्या करती।
सारी राज्जी होकै खावैं थी, 
कोए भी ना नाट्या करती।

कोथली तो ईब भी आवै सै, 
गैल्या घेवर और मिठाई।
पर मां के हाथ की कोथली सी, 
मिठास बेबे कितै ना पाई।

सावन की कोथली और तीज की बधाई।🌳🌴🌳🌴🙏🙏
N S Yadav GoldMine 
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©N S Yadav GoldMine
  #DiyaSalaai बूड्ढी बैट्ठी घर के बाहरणे 
छोरी पतासे बाट्टण आई।
करले दादी मुह नैं मिट्ठा 
मेरी मां की कोथली आई।
{Bolo Ji Radhey Radhey}
बूड्ढी बोल्ली के खाउं बेट्टा, 
घर की बणी या चीज कोन्या।
सारे त्योहार बाजारु होगे,

#DiyaSalaai बूड्ढी बैट्ठी घर के बाहरणे छोरी पतासे बाट्टण आई। करले दादी मुह नैं मिट्ठा मेरी मां की कोथली आई। {Bolo Ji Radhey Radhey} बूड्ढी बोल्ली के खाउं बेट्टा, घर की बणी या चीज कोन्या। सारे त्योहार बाजारु होगे, #समाज

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