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कानो के झुमके हिलाती थी  सामने बैठ के  कुछ इस तर

कानो के झुमके हिलाती थी 

सामने बैठ के 

कुछ इस तरह में उसे करीब 

बुलाती थी। 

मेरे बगीचे में क्या गिरा तेरे कानो 

का झुमका 

बगीचे की मिट्टी भी तेरे जुल्फों की 

खुशबु से महक उठी।
❤
#Banjaaransoul

©sanam ji
  #BANJAARASOUL