अभी ठहरो, जरा भी सहानुभूति है तो बहुत बाते नहीं करो... यहाॅ॑ घरों में मायूसी छाई है तुम ख़ुशी की बात मत करो.. यह सही है, चाय पी साथ गम बाॅंट लिया करते हैं तुम चाय में पड़ी चीनी की बात मत करो... गले से एक घूॅ॑ट अंदर नहीं जा रही है तुम पानी के साथ मीठे की बात मत करो... रसोईघर से खाने की खुशबू आ रही है तुम थाली में परोसने वाले व्यंजन की बात मत करो... एक ही कपड़े में पूरा दिन गुजर जाता है तुम कपड़ों के किस्मों की बात मत करो... यहां करोड़ों की नौकरियां चली गई हैं तुम अभी वेतन की बात मत करो.... गुलज़ार होगा अगर आशियाना अपना कभी बिछौने के साथ मसनद लगाकर शान-शौकत से होगी मेहमान-नवाज़ी आपकी मगर आज कोई कसर बाकी रह गई हो तो तुम शिकायत की बात मत करो.... -रानी यादव #मेहमान-नवाज़ी