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धरा की प्यास बुझाने आये। आषाढ़ी काले बादल आये।

धरा  की प्यास  बुझाने आये।
आषाढ़ी काले  बादल  आये।
बादल मिट्टी को गले लगाकर 
पर्वतों   को   चूमने     आये।
आसमान से  उड़ते हुए मिट्टी
की  खुशबू  में   समाने  आये।
उमड़-घुमड़  शौर  करतें हुए 
कड़काती  बिजली ले  आये।
प्रकृति  की   पुकार  सुनकर 
उपहार  में  बारिश  ले आये।
किसानों के घर दिवाली और
अन्न के लिए अमृत  ले आये।

©kavi neetesh #baarish #badal #poem #Poet #Poetry #today #words #Hindi
धरा  की प्यास  बुझाने आये।
आषाढ़ी काले  बादल  आये।
बादल मिट्टी को गले लगाकर 
पर्वतों   को   चूमने     आये।
आसमान से  उड़ते हुए मिट्टी
की  खुशबू  में   समाने  आये।
उमड़-घुमड़  शौर  करतें हुए 
कड़काती  बिजली ले  आये।
प्रकृति  की   पुकार  सुनकर 
उपहार  में  बारिश  ले आये।
किसानों के घर दिवाली और
अन्न के लिए अमृत  ले आये।

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