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तारीफ़-ऐ-इश्क़ ना करो हमसे तो जायज़ हाेगा, कितने ह

तारीफ़-ऐ-इश्क़
ना करो हमसे तो जायज़ हाेगा,
कितने ही बर्बाद हुऐ हुस्न-ओ-इश्क़
मैं बता दिया हमने
तो तुम्हारी नज़रों में ये
नाजायज़ होगा
तारीफ़-ऐ-इश्क़
ना करो हमसे तो जायज़ हाेगा,
कितने ही बर्बाद हुऐ हुस्न-ओ-इश्क़
मैं बता दिया हमने
तो तुम्हारी नज़रों में ये
नाजायज़ होगा