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आज लबों पर जो हंसी है, वो नाजाने कही पर फंसी है क्

आज लबों पर जो हंसी है,
वो नाजाने कही पर फंसी है
क्यूं मन उदास सा है,
सायद किसी की दाट फटकार कि वजह से,
या किसी के प्यार- वफा की वजह होगी,
कुछ ना कुछ तो मेरे आसपास है..
समुन्द्र पास मे है फिर भी नदिओ मे प्यास है
मिलन कि,मोहब्बत कि,सिमत जाने कि एक दुजे कि बाहों मे
हर तरफ का महौल शांत है,
मै भी इनमे शामिल हूं..
हर तगफ धुंन्ध है ठंड है हवा बह रही है
मुझमे भी हवा,धुंन्ध और मायुशी शामिल है..
ना जाने क्या, क्यूं, कैसे हुआ,
 इसका जवाब खुद मै ही तलाश करता हूं..!!

©Shreehari Adhikari369
  #माहौल ठंडा है
shreehariadhikar2146

HARSHIT369

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#माहौल ठंडा है #कविता

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