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'मशीनों की यही कहानी है कि वो कल-पुर्जों का समाज ह

'मशीनों की यही कहानी है कि
वो कल-पुर्जों का समाज है।'
मैंने झंडा उठाये एक किरानी को देखा,
वो चिल्ला रहा था,
हो सकता है उसका कोई स्वार्थ,
कोई कमी, पर वो बीते कल से
कुछ कहना चाह रहा था।
बावन फुट की मशीन में
एक डेढ़ इंच के पुर्जे का बयान,
एक छोटी दिक्कत है, पर
ये भूल से हो, शौक से हो,
भारी हिमाकत है।
आलू को सोना करने वाली मशीन
एक पुर्जे की बगावत से
आलू को गोबर नहीं कर सकती।
थोड़ा उल्टा,
ज्ञान को गोबर बनाने वाली मशीन
एक पुर्जे की हिमाकत से
ज्ञान को बम नहीं कर सकती।
विश्वास करो।
पुर्जे की हिमाक़त पर
उन्हें 'ठीक' किया जाता है,
उनकी बगावत पर
उन्हें बदल दिया जाता है। कल-पुर्जे और क्रांति
'मशीनों की यही कहानी है कि
वो कल-पुर्जों का समाज है।'
मैंने झंडा उठाये एक किरानी को देखा,
वो चिल्ला रहा था,
हो सकता है उसका कोई स्वार्थ,
कोई कमी, पर वो बीते कल से
कुछ कहना चाह रहा था।
बावन फुट की मशीन में
एक डेढ़ इंच के पुर्जे का बयान,
एक छोटी दिक्कत है, पर
ये भूल से हो, शौक से हो,
भारी हिमाकत है।
आलू को सोना करने वाली मशीन
एक पुर्जे की बगावत से
आलू को गोबर नहीं कर सकती।
थोड़ा उल्टा,
ज्ञान को गोबर बनाने वाली मशीन
एक पुर्जे की हिमाकत से
ज्ञान को बम नहीं कर सकती।
विश्वास करो।
पुर्जे की हिमाक़त पर
उन्हें 'ठीक' किया जाता है,
उनकी बगावत पर
उन्हें बदल दिया जाता है। कल-पुर्जे और क्रांति

कल-पुर्जे और क्रांति