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कलाकार बांधता है अल्फाजो में समाज को रंगता हैं हर

कलाकार
बांधता है अल्फाजो में समाज को
रंगता हैं हर रीत को
उकेरता हैं हर बागी को
गाता है हर परिवर्तन को
कलाकार दर्पण होता है जिसमें सामाज की ही छवि होती हैं।
किसी पुरानी धारणा जैसा नहीं
बदलता है वक्त के साथ
कलाकार सच बोलता है
समाज पर बिछी धूल की चादर को हटाता हैं
कलाकार बगावत को शब्द देता है
आकार देता हैं
कलाकार किसी ख़ास का नहीं 
आम का होता है।
अनुष्का ढाका।। #artist
कलाकार
बांधता है अल्फाजो में समाज को
रंगता हैं हर रीत को
उकेरता हैं हर बागी को
गाता है हर परिवर्तन को
कलाकार दर्पण होता है जिसमें सामाज की ही छवि होती हैं।
किसी पुरानी धारणा जैसा नहीं
बदलता है वक्त के साथ
कलाकार सच बोलता है
समाज पर बिछी धूल की चादर को हटाता हैं
कलाकार बगावत को शब्द देता है
आकार देता हैं
कलाकार किसी ख़ास का नहीं 
आम का होता है।
अनुष्का ढाका।। #artist