तोहफ़े में : दोनों के बीते जीवन के घाव उभर आए और बेटे ने इतना बड़ा लिफाफा भेजकर उन रिसते घावों पर अपने हाथों से जैसे नमक रगड़ दिया हो। दरवाजे की घंटी फिर बजी। खोलकर देखा तो पड़ोसी थे। 'क्या हुआ भाभी जी? फोन नहीं उठा रहीं हैं। आपके बेटे का फोन था। कह रहा था अंकल जाकर देखिए जरा। उसे चिंता करने की जरूरत है! चेहरे की झाुर्रियां गहरी हो गई।' 'अरे इतना घबराया था वह, और आप इस तरह। आंखें भी सूजी हुई हैं। क्या हुआ?' 'क्या बोलू श्याम, देखो बेटे ने..' मेज पर पड़ा लिफाफा और पत्र की ओर इशारा कर दिया।' श्याम पोस्टकार्ड बोलकर पढऩे लगा। लिफाफे में पता और टिकट दोनों भेज रहा हूं। जल्दी आ जाइये। हमने उस घर का सौदा कर दिया है। सुनकर झर-झर आंसू बहें जा रहें थे। पढ़ते हुए श्याम की भी आंखें नम हो गई। बुदबुदाये 'नालायक तो नहीं था बब्बू!'