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कितनी ख़ामोश थी ये हवा, तुम्हें छूकर कर मुस्कुराने

कितनी ख़ामोश थी ये हवा, तुम्हें छूकर कर मुस्कुराने लगी है
ठहरा हुआ पानी भी अब हिलोरें लेने लगा हैं
मानों लहरें गीत गुनगुनाने लगी हैं

मदहोश हो रहा हैं मंजर तुम्हारे उड़ते हुए केशों को देख
ये जुल्फ़े भी हवा के साथ गुफ़्तगू करने लगी हैं

कानों की बालियों से लेकर पैरों की पायल तक 
ये हवा तुम्हें देख कुछ  इतराने लगी हैं

आज दिल ही नहीं रूह भी खिल उठा हैं वादियों का
ये तस्वीर हवा के साथ दिल से मुस्कुराने लगी हैं

सभ्य और सरल सी सीरत देख इस सूरत पे
ये हवा बेआबरू होकर आँचल लहराने लगी हैं

हाय! ये रंगों का खूबसूरत नज़ारा देख इस तस्वीर में
कहीं छुपकर बादलों में इंद्रधनुष भी मुस्काने लगा हैं
हो न जाये प्रीत किसी को सोच ये मौसम थोड़ा बदलने लगा हैं

©Sonu Goyal
  siya pandey ❤️❤️

I know tum study me busy ho
but yaad to ayegi hi na
miss u so much siyu 🥰🥰
sach me hr din intzaar hota h ki tum aaogi..pr na tum ati ho na tumhari koi khabr😌
bs tum jaha bhi rho..thik rho or khush rho ❣️
mahakal blessings u siyu😇🙌