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पिता की व्यथा केपस्न में पढ़ें बेटी की जिद से वि

पिता की व्यथा 

केपस्न में पढ़ें बेटी की जिद से विवश हो कर | 
कह दिया जा कर लो विवाह उसी से, 
कल्पित मन से शिला ह्रदय पर ढोकर ||

विस्मय विचित्र छाया अब मन में, 
पुत्री का मोह के सिवा न कुछ शेष जीवन में, 
बस एक प्रश्न मन को घेरे बैठा  है| 
समस्या यह विचित्र यह काल भुजंग सा ऐठा है ||
पिता की व्यथा 

केपस्न में पढ़ें बेटी की जिद से विवश हो कर | 
कह दिया जा कर लो विवाह उसी से, 
कल्पित मन से शिला ह्रदय पर ढोकर ||

विस्मय विचित्र छाया अब मन में, 
पुत्री का मोह के सिवा न कुछ शेष जीवन में, 
बस एक प्रश्न मन को घेरे बैठा  है| 
समस्या यह विचित्र यह काल भुजंग सा ऐठा है ||