मुद्दतों बाद आज मेरा चाँद नज़ीर हुआ है , मुद्दतों बाद मुझे मेरी जिन्दगी मिली है ! DQ : 382 मुद्दतों बाद जैसे इस भटकाव को आराम मिला हो, ये सिला है कोई या सूरज आज पश्चिम से उगा है ! है ये धरती की धुरी पर टिकी ब्रह्मांड का आधार बने मेरी जिन्दगी भी जैसे तेरा मेरे मन में आने से जिये !