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ज़रूरत नहीं तो वजूद कैसा हमारा, संस्कार नहीं तो चर

ज़रूरत नहीं तो वजूद कैसा हमारा,
संस्कार नहीं तो चरित्र कैसा हमारा।
बाते तो बहुत चाहते थे करना तुमसे
रात ही गई तो बात करना फिर कैसा हमारा,
तुझे मनाऊं तो मनाऊं कैसे
एक बार मना लिया, फिर रूठना कैसा तुम्हारा,
सच बोल ही दिया, जरूरत नहीं हमारी,
तो फिर फिर शर्माना कैसा तुम्हारा।
गर फिर पड़ी ज़रूरत याद आऊंगा बहुत,
नहीं तो वैसे भी वजूद नहीं हमारा,
मेरा नाम मिटा दो अपने दिल से,
अब इतना तो फ़र्ज़ बनता है ना तुम्हारा।

✍️गौतम✍️ #जरूरत 
@neha Nupur pant
@bhawana Mishra
VK JANGIR
ज़रूरत नहीं तो वजूद कैसा हमारा,
संस्कार नहीं तो चरित्र कैसा हमारा।
बाते तो बहुत चाहते थे करना तुमसे
रात ही गई तो बात करना फिर कैसा हमारा,
तुझे मनाऊं तो मनाऊं कैसे
एक बार मना लिया, फिर रूठना कैसा तुम्हारा,
सच बोल ही दिया, जरूरत नहीं हमारी,
तो फिर फिर शर्माना कैसा तुम्हारा।
गर फिर पड़ी ज़रूरत याद आऊंगा बहुत,
नहीं तो वैसे भी वजूद नहीं हमारा,
मेरा नाम मिटा दो अपने दिल से,
अब इतना तो फ़र्ज़ बनता है ना तुम्हारा।

✍️गौतम✍️ #जरूरत 
@neha Nupur pant
@bhawana Mishra
VK JANGIR