चंद सुशोभित फूलों सा रोज खिलाना है, जिंदगी थोड़ी छोटी है पर रोज चलना है, कल की क्या फिकर बस आज में रहना है, जो भी मिले जीवन पथ पर वो सब सहना है, सीखा मैंने फूलों से छोटी जिंदगी में खुश रहना है। नन्ही चींटी जब खाना लेकर घर को जाती है, घोर परिश्रम वो अपनों के लिए कर जाती है, जाने कहां से इतनी हिम्मत उस को आती है, शांत मन से वो लगातार काम कर खाना लाती है, सीखा मैंने चींटी से परिश्रम जैसे वो कर पाती है। ठंडे शांत पानी की गहराई कौन नाप पाया है, जिसमे तरुवर की भी झलकती छाया है, इसने तो हमेशा सभी को एक सा ही झलकाया है, शांत मन के भीतर गहराई इसी ने बताया है, सीखा मैंने नदी से शांत मन को ही गहरा पाया है। तरुवर भी झुके जब फल को लगे पाते है, जो बांझ है वो सीना ताने खड़े रह जाते है, सौ पत्थर खा के भी ये कभी विष नहीं बरसाते है, ये जड़ से के कर तने तक सबका भला कर जाते है, सीखा मैंने पेड़ों से कैसे ये निहस्वार्थ सेवा कर पाते है। सीखा मैंने अपनी गलतियों से क्या सीखा आपने लिखें Collab करें YQ DIDI के साथ #सीखामैंने #collab #yqdidi