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हाँ.. ठहरी हर शिकवे की गुनाहगार मैं, हाँ.. तुमसे

हाँ..  ठहरी हर शिकवे की गुनाहगार मैं,
हाँ..  तुमसे 'और-और' की तलबगार मैं,
उम्मीद..तो बस इतनी सी ही थी तुमसे,
दुनिया पलट जाएगी तुम नहीं पलटोगे। 
नमस्कार लेखकों!🌺

सितंबर के इस माह में हम हमारे लेखकों के लिए ले कर आए हैं "WOTD" यानी "Word Of The Day," जिसके अंतर्गत लेखकों को हर दिन एक नया शब्द/ मुहावरा या वाक्यांश दिया जायेगा जिसका प्रयोग उन्हें अपनी कविता/ लेखन में करना होगा। 

नियमों की सूची नीचे अनुसार है :

🌻दिए गए शब्द/मुहावरे/वाक्यांश का उपयोग अपने लेखन में प्रयोग किजिये।
हाँ..  ठहरी हर शिकवे की गुनाहगार मैं,
हाँ..  तुमसे 'और-और' की तलबगार मैं,
उम्मीद..तो बस इतनी सी ही थी तुमसे,
दुनिया पलट जाएगी तुम नहीं पलटोगे। 
नमस्कार लेखकों!🌺

सितंबर के इस माह में हम हमारे लेखकों के लिए ले कर आए हैं "WOTD" यानी "Word Of The Day," जिसके अंतर्गत लेखकों को हर दिन एक नया शब्द/ मुहावरा या वाक्यांश दिया जायेगा जिसका प्रयोग उन्हें अपनी कविता/ लेखन में करना होगा। 

नियमों की सूची नीचे अनुसार है :

🌻दिए गए शब्द/मुहावरे/वाक्यांश का उपयोग अपने लेखन में प्रयोग किजिये।