Nojoto: Largest Storytelling Platform

White जब रजनी के सूने क्षण में, तन-मन के एकाकीपन म

White जब रजनी के सूने क्षण में,
तन-मन के एकाकीपन में
कवि अपनी विव्हल वाणी से अपना व्याकुल मन बहलाता,
त्राहि, त्राहि कर उठता जीवन!

जब उर की पीडा से रोकर,
फिर कुछ सोच समझ चुप होकर
विरही अपने ही हाथों से अपने आंसू पोंछ हटाता,
त्राहि, त्राहि कर उठता जीवन!

पंथी चलते-चलते थक कर,
बैठ किसी पथ के पत्थर पर
जब अपने ही थकित करों से अपना विथकित पांव दबाता,
त्राहि, त्राहि कर उठता जीवन!
हरिवंश राय बच्चन

©aditi the writer
  #Dosti  Niaz (Harf) Kundan Dubey Kumar Shaurya आगाज़ AK Haryanvi