कहानी तुम्हारे कर्मो की, रूप बदल कर आती है, घटित हो चुकी घटनाएं, स्वरूप बदल कर आती है। मत देना दोष क़िस्मत को, क्यूं घड़ी विपदा की आई है, भविष्य की संरचनाएं, माञ तुम्हारे वर्तमान की परछाई है।। ना गुजरा कल बुलाए आता है, नहीं वक्त दोहराया जाता है, जब पल हिसाब का आता है, साया भी हो पराया जाता है। तुम्हारी नाकामयाबी का मज़ाक, मिल पूरा लोक उड़ाएगा, तब अक्स भी अजनबी होगा, आईना भी शोक मनाएगा।। भय पराजय का जन्म दाता है, यमदूत बन कर यह आता है, गलत मार्ग पर चलने वाला, ही इससे घबराता है। जग कल्याण का ध्यान कर, कर्म करना उचित कार्यवाही है, भविष्य की संरचनाएं, माञ तुम्हारे वर्तमान की परछाई है।। #Wood #shaayavita #karam #KARM #Satya #sachhai #Bhavishya #vartman