मांगता हूँ तो देती नहीं हो, जवाब मेरी बात का; और देती हो तो खड़ा हो जाता है, रोम-रोम जज्बात का, मुंह में लेना तुम्हे पसंद नहीं, एक भी कतरा शराब का, फिर क्यों बोलती हो कि धीरे से डालो, बालों में फूल गुलाब का, वो सोती रही मैं करता रहा, इंतज़ार उसके जवाब का, अभी उसके हाथ में रखा ही था कि उसने पकड़ लिया, गुलदस्ता गुलाब का, उसने कहा पीछे से नहीं आगे से करो, दीदार मेरे हुस्न-ओ-शबाब का, उसने कहा बड़ा मज़ा आता है जब अन्दर जाता है, कानो में एक एक लफ्ज़ तेरे प्यार का! ©Krishna Mahra funny shayari 18+ #Sunrise