नजरअंदाज क्यों करना, जब हंस कर मान लेता था तेरा हर एक बहाना पहले चुका रखा तेरी यादों का महंगा हर्जाना तेरी हर खबर रखी, पर बात किया बन अनजाना अभी मुझे झूठ से थी नफरत; और तुमने उसी में सजाया अपना अफसाना भूल जाना मुश्किल है, नामुमकिन नहीं थोड़ी अपनी यादों को संभाल, हारा हूं; जीत है पाना समय है कम, नजर रखे जमाना ,बहुत दूर है जाना आज भी सोचता हूं," गलत थी तुम या गलत था दिल लगाना"? # तराना, फ़साना