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आधुनिकता के युग में खोते हुए मानसिकताओं को, सभ्यता

आधुनिकता के युग में खोते हुए मानसिकताओं को,
सभ्यता के दौर में विलुप्त होती संस्कृतियों को,
नई पीढ़ी के विलीन होते संस्कारों को,
विचलित होती इंसानियत के राह को,
ढेरों भाषाओं को अपनाने के होड़ में 
कमी होते मां हिन्दी के सम्मान को... 
बचाने की जरूरत है.....
वाकई बचाने की जरूरत है.... माँ ने ममता को
पिता ने अच्छाई को 
चिड़िया ने आसमान को
पेड़ ने धरती को 
सब ने कुछ न कुछ बचा लिया है
हमारा फ़र्ज़ बनता है 
हम भी बचा लें कुछ 
और न सही तो शब्दों को ही।
आधुनिकता के युग में खोते हुए मानसिकताओं को,
सभ्यता के दौर में विलुप्त होती संस्कृतियों को,
नई पीढ़ी के विलीन होते संस्कारों को,
विचलित होती इंसानियत के राह को,
ढेरों भाषाओं को अपनाने के होड़ में 
कमी होते मां हिन्दी के सम्मान को... 
बचाने की जरूरत है.....
वाकई बचाने की जरूरत है.... माँ ने ममता को
पिता ने अच्छाई को 
चिड़िया ने आसमान को
पेड़ ने धरती को 
सब ने कुछ न कुछ बचा लिया है
हमारा फ़र्ज़ बनता है 
हम भी बचा लें कुछ 
और न सही तो शब्दों को ही।
rupamjha5990

Rupam Jha

New Creator

माँ ने ममता को पिता ने अच्छाई को चिड़िया ने आसमान को पेड़ ने धरती को सब ने कुछ न कुछ बचा लिया है हमारा फ़र्ज़ बनता है हम भी बचा लें कुछ और न सही तो शब्दों को ही। #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #bestyqhindiquotes #नवरूप #ज़रूरतहै #jhapost