कि दर्द का लिबास हूँ, मैं आसुओं का प्यास हूँ। साहस ज़रा देख फिर भी, मुस्कान के बेहद मैं पास हूँ। खामोशियों का अल्फाज़ हूँ, मैं एक शोर का एहसास हूँ। मरहम का एक सैलाब हूँ, मैं हर ज़ख्मों का सांस हूँ। कि हूँ मंज़िलों से बेखबर, सिर्फ सफर का मैं विलास हूँ। सुब्ह-ओ-शाम, रात, पहर, मैं खुद की हीं तलाश में हूँ।। मैं हीं आदि, मैं हीं अंत, मैं हीं आरम्भ का एक आस हूँ। भीड़ में जो था छुपा कभी , मैं उस कायर का एक लाश हूँ। पर्वतों को चीर मैं रास्ता बना दूँ, ऐसा अटल मैं एक विश्वास हूँ। अधर्म-आग में हैं जल रहा जो, मैं उस मानवता का दास हूँ। शाँति का दूत हूँ, मैं आतंकियों का त्रास हूँ। जुगनूओं के बस्तियों में, मैं आफ़ताब सा प्रकाश हूँ। हाँ दर्द का लिबास हूँ, मैं आसुओं का प्यास हूँ। साहस ज़रा देख फिर भी, मुस्कान के बेहद मैं पास हूँ। ~suraj kumar shaw @safarnaamaasawaaloka @skshaw2309 ©Suraj Kumar Shaw "दर्द का लिबास हूँ।" (नज़्म ) कि दर्द का लिबास हूँ, मैं आसुओं का प्यास हूँ। साहस ज़रा देख फिर भी,