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कुछ इस तरह हम इश्क़ निभाते रहे, वो दूर जाते रहे, हम

कुछ इस तरह हम इश्क़ निभाते रहे,
वो दूर जाते रहे, हम बुलाते रहे।

हमें उनकी, उन्हें बहाने की तलाश थी,
वो रूठते रहे,हम मनाते रहे।

उन्होंने अपना माना ही नहीं कभी हमें,
हम हर लम्हा उन्हें ही अपना बनाते रहे।

सोचते थे हम अभी जरा नादाँ हैं वो,
पर वो तो गैरों की महफिल सजाते रहे।

वो बेवफा हैं हमें कहाँ मालूम था 'गोविन्द'
हम एक बेवफा से दिल लगाते रहे।

©Govind Pandram #वो बेवफा है..
कुछ इस तरह हम इश्क़ निभाते रहे,
वो दूर जाते रहे, हम बुलाते रहे।

हमें उनकी, उन्हें बहाने की तलाश थी,
वो रूठते रहे,हम मनाते रहे।

उन्होंने अपना माना ही नहीं कभी हमें,
हम हर लम्हा उन्हें ही अपना बनाते रहे।

सोचते थे हम अभी जरा नादाँ हैं वो,
पर वो तो गैरों की महफिल सजाते रहे।

वो बेवफा हैं हमें कहाँ मालूम था 'गोविन्द'
हम एक बेवफा से दिल लगाते रहे।

©Govind Pandram #वो बेवफा है..

वो बेवफा है..