पिंजरे में बंद पंछी आसमान में उड़ रहे..… आसमान को छूने वाले घरो में घुट रहे... बेपरवाह जी रहा था इंसान क्योंकि सब कुछ सह रहा था,बेजुवान... अब तुम सहो ए इंसान जो भूल गए थे,अपने इमान... दर्द समझो अपनो का अपने टूटे हुए सपनो का... करीब लाया है,उसका क़हर मत घोलो,रिश्तों में जहर आओ मिलकर, चाहत को पूरा करे फिक्र कर एक दूजे की सबका सहारा बने।।। करो इबादत उस खुदा से के अब हम,इंसान दोबारा बने.... 'चाहत' आसमान की उड़ान