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मैं हो चुका हूं दुनिया से जुदा कुछ इस कदर ना कर्ज,

मैं हो चुका हूं दुनिया से जुदा कुछ इस कदर
ना कर्ज, ना फर्ज़, किसी का कोई एहसान नहीं हैं

मतलब का साथ हैं बस मतलब का प्यार हैं
सभी है शातिर यहां राहुल, कोई मासूम कोई नादान नहीं हैं

करवटें वो भी बदलता होगा रातों में नींद उसे भी कहा
कैसे कह दूं के, वो शख़्स मेरे दर्द से अनजान नहीं हैं

कुछ लोग कहते हैं मुझसे, तुम्हारी लिखाई में इतना गम क्यों हैं?
क्या तुम ही हो परेशान यहां, कोई और परेशान नहीं हैं?

कैसे कहूं उनसे इम्तहान कुछ रिश्तों के यूं पेचीदा से हैं
बस अनकहे सवाल हैं, उनका कोई अंजाम नहीं हैं

कोई पहुंचे इस रहगुजार, पता पूछते मेरा तो कहना
ये घर अब टूटने को हैं, यहां रहता कोई इंसान नहीं हैं

चलता हूं जुग्नुओ की रोशनी में, सफ़र लंबा है मेरा
चांद से रूठा हूं मैं और फलख में सितारे तमाम नहीं हैं चलता हूं :)
मैं हो चुका हूं दुनिया से जुदा कुछ इस कदर
ना कर्ज, ना फर्ज़, किसी का कोई एहसान नहीं हैं

मतलब का साथ हैं बस मतलब का प्यार हैं
सभी है शातिर यहां राहुल, कोई मासूम कोई नादान नहीं हैं

करवटें वो भी बदलता होगा रातों में नींद उसे भी कहा
कैसे कह दूं के, वो शख़्स मेरे दर्द से अनजान नहीं हैं

कुछ लोग कहते हैं मुझसे, तुम्हारी लिखाई में इतना गम क्यों हैं?
क्या तुम ही हो परेशान यहां, कोई और परेशान नहीं हैं?

कैसे कहूं उनसे इम्तहान कुछ रिश्तों के यूं पेचीदा से हैं
बस अनकहे सवाल हैं, उनका कोई अंजाम नहीं हैं

कोई पहुंचे इस रहगुजार, पता पूछते मेरा तो कहना
ये घर अब टूटने को हैं, यहां रहता कोई इंसान नहीं हैं

चलता हूं जुग्नुओ की रोशनी में, सफ़र लंबा है मेरा
चांद से रूठा हूं मैं और फलख में सितारे तमाम नहीं हैं चलता हूं :)