ये कैसा वक्त है की अब अपना ही घर पराया लगता है। सारी उमर तो गुजारी है यांह फिर अब क्यों किसी और का साया लगता है । ये कैसा वक्त है कल तक तो गूंजती थी यहां मेरी किलकारी । हर कोई कहता था मैं हूं इस घर की दुलारी । जब कभी हुआ करती थी मैं इस घर की जान। फिर सब क्यों कर रहे आज मुझे अनजान । ये कैसा वक्त है कोई बतायेगा ये जो आज मैं जा रही हूं खोने। इससे बड़ा और कुछ होगा क्या अनहोने ? ये कैसा वक्त है.......... ©kanisha #agni #Betiyan #lifeofgirls #leavinghome #feelinghomeless #girlwedding