मेरी पहचान अभी छुपी हुई है। लेकिन यक़ीन है बना लूँगी मैं। इरादे है मज़बूत सफ़ऱ जारी है। अपनी मन्ज़िल भी पा लूँगी मैं। बेटी हूँ तो थोड़ा मुश्क़िल है। मेरे हर इक क़दम पे पत्थर हैं। चुभते रहते हैं पाँव में मेरे जो! वो बस विचारों के नश्तर हैं। तोड़ डालूँगी बेड़ियाँ सारी मैं! अपना मुक़ाम पा लूँगी मैं। मेरी ख़्वाहिशों में उनके ख़्वाब जुड़े हैं। मेरी चाहतों के वहाँ सारे रास्ते मुड़े हैं। पर एक उम्मीद है जो पूरी हो जाएगी! थोड़ी सी मेहनत थोड़े हौसले जुड़े हैं। ♥️ Challenge-766 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।