परेशान @SARGAM धन से बड़ा कुछ भी नही अवगुण रूपी संसार । लेत जन्म जब जग में कहत करब सत्कार ।। काम क्रोध मद लोभ ये मानव रूपी माया जाल। लकड़ी जब हो जल रही हों लपटें उसकी लाल ।। बिना करे कुछ मिले नही करने से मिल जाय । माता-पिता की सेवा करो और न कोई उपाय ।। @SARGAM_SUBHASH_CHANDRA_BAGHEL NAIMISHARANYA MISRIT TIRTH SITAPUR U.P. @SARGAM धन से बड़ा कुछ भी नही अवगुण रूपी संसार । लेत जन्म जब जग में कहत करब सत्कार ।। काम क्रोध मद लोभ ये मानव रूपी माया जाल। लकड़ी जब हो जल रही हों लपटें उसकी लाल ।। बिना करे कुछ मिले नही करने से मिल जाय । माता-पिता की सेवा करो और न कोई उपाय ।।