हवाएं तो बस एक माध्यम मात्र हैं चिंगारी से ही आग जलने लगता है जमाने की खुद्दारी से वाकिफ हैं हम वक़्त के साथ सबका मन भरने लगता है तू तस्वीर में साथ नहीं है तो क्या हुआ तू तकदीर में तो जरूर मेरे साथ होगी वक़्त तो अपनी गति से चलता रहता है वक़्त ठहरा तो कभी तुमसे भी मुलाकात होगी P@rul Niharika yadav Ankur kumar