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वो यूँ ही रूठ जाएगी,बाहों में मेरे सिमटकर टूट सी

वो यूँ  ही रूठ जाएगी,बाहों में मेरे सिमटकर
टूट सी जाएगी।
उड़ता हुआ पक्षी जैसे रुकता है आश्रय के लिए,
कुछ देर के लिए
वो भी मेरी पनाहों में सुकून से सो जाएगी।
बचकानी सी बातों से बक-बक करती जाएगी।
जो चुप कराओ एक पल को तो 
फुलाकर मुँह बैठ जायेगी।
मनाही से तो नफरत है उसे, 
ना सुनते ही बिफर जायेगी।
कोई वजह हो रूठने के लिए जरुरी नही,
वो तो बेवजह ही रूठ जाएगी।
वो यूँ  ही रूठ जाएगी,बाहों में मेरे सिमटकर
टूट सी जाएगी।
उड़ता हुआ पक्षी जैसे रुकता है आश्रय के लिए,
कुछ देर के लिए
वो भी मेरी पनाहों में सुकून से सो जाएगी।
बचकानी सी बातों से बक-बक करती जाएगी।
जो चुप कराओ एक पल को तो 
फुलाकर मुँह बैठ जायेगी।
मनाही से तो नफरत है उसे, 
ना सुनते ही बिफर जायेगी।
कोई वजह हो रूठने के लिए जरुरी नही,
वो तो बेवजह ही रूठ जाएगी।