चाँदनी रात लगाती वो काजल के पीछे है एक बंजर जमीन पर कुछ इश्क़ के पौधे सींचे है समझौता कर अरमानो को कुचल आगे चल दिया हर मोड़ पर वो मेहंदी वाले हाथ खींचे है कल फिर इंसानियत को मरते देखा खून से लथपत सड़क पे आलम ये है इतने बेफिक्रे हो गए देखे भी आँखें मींचे है और जो सोये हुए है लाशों की कब्रों पर उनके नीचे कुछ फूलों के बगीचे है ©Dr Ravi Lamba #MereKhayaal #hindi_poetry #hindighazal #urdushayari #hindi_shayari #jaunelia