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दर्द वो जो बातें की, महज़ इक इत्तेफाक थी। दो शब्द

दर्द

वो जो बातें की,
महज़ इक इत्तेफाक थी।

दो शब्द प्यार के,
फिर वही नफरत की आग थी।

बेशक़ कुछ नादान गलती की,
की आई रिश्ते में दरार थी।

अपनी बातों से छल लिया मुझे,
कि मासूमियत की हार थी।

हर लम्हा जिसने तुझे चाहा,
उसे तूने दी आँसूओ की सौगात थी।

मैंने तेरे लिए सब किया,
फिर भी तेरे लिए पराई थी।

तेरी हर गलती की मैंने माफ़
उसमें भी तुझे रुसवाई थी। #Dwell_in_possibility  दर्द में दर्द
दर्द

वो जो बातें की,
महज़ इक इत्तेफाक थी।

दो शब्द प्यार के,
फिर वही नफरत की आग थी।

बेशक़ कुछ नादान गलती की,
की आई रिश्ते में दरार थी।

अपनी बातों से छल लिया मुझे,
कि मासूमियत की हार थी।

हर लम्हा जिसने तुझे चाहा,
उसे तूने दी आँसूओ की सौगात थी।

मैंने तेरे लिए सब किया,
फिर भी तेरे लिए पराई थी।

तेरी हर गलती की मैंने माफ़
उसमें भी तुझे रुसवाई थी। #Dwell_in_possibility  दर्द में दर्द

#Dwell_in_possibility दर्द में दर्द