.. इक मर्तबे जिस्म बस ज़रिया सा रहा होगा, ख़याल खुशबू खुमार ख़लिश गुलज़ार होगा..! .. कभी माज़ी ने मौज़ू के मिसरों को रंगा होगा, वही मौसमी मिज़ाज़ गुलज़ार सा फ़िज़ा होगा..! ..जब ख़याल की कशिश ने उम्र कसा होगा, लड़कपन में लिपटा वो दाना गुलज़ार होगा..! .. 🌿खुशामदीद.. 💞 💝 सालगिरह मुबारक हो गुलज़ार साहब..