महकती सुबह ============================ वो भी क्या दिन थे ,उनसे मुलाकातों की महकती सुबह से हसीन जवां रातों की बहाना भरी दुपहरी मे महबूब से मिलने का खुशबू -ए -इश्क़ में डूबी, मासूम जज़्बातों की पल भर मे लगे जैसे ,सदियां जी आये हों भीगी भीगी सी जुल्फे ,मौसम बरसातों की लिखना और मिटाना, खुद से ही शर्माना कागज पर उतारते हुए, हुस्न ख्यालातों की बाद मुद्दत वो है आयी ,संजय तेरी दुनिया में रहने दो आज तुम , फ़ेहरिस्त सवालातों की संजय श्रीवास्तव महकती सुबह