तुम्हें छुपा ले ज़माने से गर इजाज़त दो नही है खौफ़ निभाने से गर इजाज़त दो नई ही राह के मंज़र तुम्हें दिखेंगे अब चलो जो साथ दिवाने से गर इजाज़त दो फिदा हैं तुम पे ही दिन रात क्या कहें अब हम पढ़ें तुम्हें ही यूँ बहाने से गर इजाज़त दो। नेहा माथुर Ek matla Chand sher #YourQuoteAndMine Collaborating with Mradul Joshi